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कितनी ही रातें काटीं ,
प्रियतम की आशा में मेरे ।
उन रातों में कितने ही ,
तुमसे वे सुंदर थे मेरे ।
काजल सी श्याम घटाएँ ,
उनको जब रहती थीं घेरे ।
मैं आँखें फाड़ ढूँढ़ता ,
" चिर जीवन के साथी मेरे ।"
--शेष है--
कितनी ही रातें काटीं ,
प्रियतम की आशा में मेरे ।
उन रातों में कितने ही ,
तुमसे वे सुंदर थे मेरे ।
काजल सी श्याम घटाएँ ,
उनको जब रहती थीं घेरे ।
मैं आँखें फाड़ ढूँढ़ता ,
" चिर जीवन के साथी मेरे ।"
--शेष है--