बुझ जायेगा दीप तेरा
मत जला रे बावरे !
पास फिर भी दूर ही वह,
स्नेह भींगा भी जलेगा ।
जल भरा तेरा निरंतर ,
उर धधकता ही रहेगा ।
हो क्षीण अस्तित्व तेरा
क्या बचेगा बावरे ?
जल उठेगा ताल देकर ,
झूमती सी लौ रहेगी ।
नाच उठेगा तू पागल ,
गीत में श्वासें बहेंगीं ।
सहसा होगा गीत तेरा
चुप कहीं रे बावरे !
पावसी श्यामा निशा में ,
घोर घन झुक झुक हँसेंगे ।
चीखती झंझा बहेगी ,
कौन के कर ओट देंगे ।
जब बुलायेगा प्रिय तेरा
आह ले ले बावरे !
प्रखरतम फिर मेहलों से ,
निर्दय खिलवाड़ करेगा ।
तोड़ देगी दम; विवश ,
तू दूर से देखा करेगा ।
दौड़ेगा तू जब अँधेरा
छा चुकेगा बावरे !
मत जला रे बावरे !
मत जला रे बावरे !
पास फिर भी दूर ही वह,
स्नेह भींगा भी जलेगा ।
जल भरा तेरा निरंतर ,
उर धधकता ही रहेगा ।
हो क्षीण अस्तित्व तेरा
क्या बचेगा बावरे ?
जल उठेगा ताल देकर ,
झूमती सी लौ रहेगी ।
नाच उठेगा तू पागल ,
गीत में श्वासें बहेंगीं ।
सहसा होगा गीत तेरा
चुप कहीं रे बावरे !
पावसी श्यामा निशा में ,
घोर घन झुक झुक हँसेंगे ।
चीखती झंझा बहेगी ,
कौन के कर ओट देंगे ।
जब बुलायेगा प्रिय तेरा
आह ले ले बावरे !
प्रखरतम फिर मेहलों से ,
निर्दय खिलवाड़ करेगा ।
तोड़ देगी दम; विवश ,
तू दूर से देखा करेगा ।
दौड़ेगा तू जब अँधेरा
छा चुकेगा बावरे !
मत जला रे बावरे !
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