माँ मुझे वरदान दे दो
लेखनी को प्राण दे दो
बुद्धि शीतल सहज हो शुभ
भाव घन नभ मिलन चाहें
एक हों मिल अश्रु बनकर
चू पड़े विकणें न आहें
चमक उठें प्रभु के चरण गिर
वे स्वयं पलकें उठा देखें .मुझे वह मान दे दो।-माँ--
सरल शब्दों में दयामयि
प्राण भर दो कर पसारूँ
अनुपम वीणा के तारों पर
चुन-चुन उन्हें सजा दूँ
झंकृत तंत्री के हर स्वर पर
रस बरसे सब जग कटे शांति सबको दान दे दो।-माँ--
हो निरंतर त्रस्त व्याकुल
हो रही यह सृष्टि प्यारी
भागती परमाणु से डर
छटपटाती अब बिचारी
अमरत्व का संदेश जागे
फिर स्वयं परमाणु ही जग हित करें वे गान दे दो।-माँ--
लेखनी को प्राण दे दो
बुद्धि शीतल सहज हो शुभ
भाव घन नभ मिलन चाहें
एक हों मिल अश्रु बनकर
चू पड़े विकणें न आहें
चमक उठें प्रभु के चरण गिर
वे स्वयं पलकें उठा देखें .मुझे वह मान दे दो।-माँ--
सरल शब्दों में दयामयि
प्राण भर दो कर पसारूँ
अनुपम वीणा के तारों पर
चुन-चुन उन्हें सजा दूँ
झंकृत तंत्री के हर स्वर पर
रस बरसे सब जग कटे शांति सबको दान दे दो।-माँ--
हो निरंतर त्रस्त व्याकुल
हो रही यह सृष्टि प्यारी
भागती परमाणु से डर
छटपटाती अब बिचारी
अमरत्व का संदेश जागे
फिर स्वयं परमाणु ही जग हित करें वे गान दे दो।-माँ--
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