कौन मुझको बुला रहा है ?
मृदु मृणाल से बाहु बंधन,
और मादक तृप्त चुम्बन,
प्रणय में डूबे हुए तन,
और चंचल मन अचेतन,
पर ह्रदय में जलन सी क्यों ?
प्राण में यह तपन सी क्यों ?
श्वास में यह घुटन सी क्यों ?
यह किसी की लगन सी क्यों?
कौन अंतस झुला रहा है ?
मुदित सी हर एक चितवन,
मिलन की हर एक धड़कन,
मधु स्वरों में गीत गुंजन,
लास्यमय हर एक नर्तन,
चिर उदासी को छिपाये,
विरह की पीड़ा बसाये,
एक क्रन्दन में डुबाये,
क्लांत पग पग डगमगाये,
कौन मुझको जगा रहा है ?
नित्य की निश्वास जीवन,
श्वास का उल्लास यौवन,
तड़ित से ये रूप अनगिन,
झिलमिलाते से निशादिन,
एक भय में पल रहे हैं,
बोझ सा ले चल रहे हैं,
इक जलन से जल रहे हैं,
कौन पर मुस्करा रहा है ।
मृदु मृणाल से बाहु बंधन,
और मादक तृप्त चुम्बन,
प्रणय में डूबे हुए तन,
और चंचल मन अचेतन,
पर ह्रदय में जलन सी क्यों ?
प्राण में यह तपन सी क्यों ?
श्वास में यह घुटन सी क्यों ?
यह किसी की लगन सी क्यों?
कौन अंतस झुला रहा है ?
मुदित सी हर एक चितवन,
मिलन की हर एक धड़कन,
मधु स्वरों में गीत गुंजन,
लास्यमय हर एक नर्तन,
चिर उदासी को छिपाये,
विरह की पीड़ा बसाये,
एक क्रन्दन में डुबाये,
क्लांत पग पग डगमगाये,
कौन मुझको जगा रहा है ?
नित्य की निश्वास जीवन,
श्वास का उल्लास यौवन,
तड़ित से ये रूप अनगिन,
झिलमिलाते से निशादिन,
एक भय में पल रहे हैं,
बोझ सा ले चल रहे हैं,
इक जलन से जल रहे हैं,
कौन पर मुस्करा रहा है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें