लूँ भला किसका सहारा ?
माँग लूँ कैसा सहारा ?
प्यार एेसा चाहता हूँ
जो न कोई बाँट पाये,
और जिसकी जलन को छू
भस्म हो सब भावनायें,
प्यार किसका जो मिटा दे
व्देषमय यह भेद सारा----लूँ---
गोद ऐसी ढूढता हूँ
मन रहे निष्पंद जिसमें,
अंत जिसमें आदि का हो
अंत का भी अंत जिसमें,
जो प्रलय में भी न डूबे
है कहाँ ऐसा किनारा---लूँ----
ये जगत के रूप जिनको
बाँध लेती हैं भुजायें ,
है कहाँ वह रूप जिसको
मन न मेरा बांध पाये ,
अमित करुणा से बही हो,
है कहाँ वह अश्रु धारा ?---लूँ-------
मैं युगों से लड़खड़ता
भटकता हूँ तम सघन में,
ज्यों पवन कुछ खोजता सा
डोलता रहता गगन में,
जो कभी ओझल न होवे
वह दिखा अब तक न तारा !---लूँ---
पाप में ये प्राण कब से
इस तरह डूबे हुए हैं ,
पुण्य भी अपना यहाँ पर
रूप ही भूले हुए हैं ,
कौन, जो दोनो मिटा दे
एक ही देकर इशारा !---लूँ--
प्यार ऐसा दे सकोगी ?
गोद क्या ऐसी तुम्हारी?
आँसुओं से धो सकोगी,
क्या सभी पीड़ा हमारी ?
जो युगों में भी न छूटे
दे सकोगी वह सहारा ?
माँग लूँ कैसा सहारा ?
प्यार एेसा चाहता हूँ
जो न कोई बाँट पाये,
और जिसकी जलन को छू
भस्म हो सब भावनायें,
प्यार किसका जो मिटा दे
व्देषमय यह भेद सारा----लूँ---
गोद ऐसी ढूढता हूँ
मन रहे निष्पंद जिसमें,
अंत जिसमें आदि का हो
अंत का भी अंत जिसमें,
जो प्रलय में भी न डूबे
है कहाँ ऐसा किनारा---लूँ----
ये जगत के रूप जिनको
बाँध लेती हैं भुजायें ,
है कहाँ वह रूप जिसको
मन न मेरा बांध पाये ,
अमित करुणा से बही हो,
है कहाँ वह अश्रु धारा ?---लूँ-------
मैं युगों से लड़खड़ता
भटकता हूँ तम सघन में,
ज्यों पवन कुछ खोजता सा
डोलता रहता गगन में,
जो कभी ओझल न होवे
वह दिखा अब तक न तारा !---लूँ---
पाप में ये प्राण कब से
इस तरह डूबे हुए हैं ,
पुण्य भी अपना यहाँ पर
रूप ही भूले हुए हैं ,
कौन, जो दोनो मिटा दे
एक ही देकर इशारा !---लूँ--
प्यार ऐसा दे सकोगी ?
गोद क्या ऐसी तुम्हारी?
आँसुओं से धो सकोगी,
क्या सभी पीड़ा हमारी ?
जो युगों में भी न छूटे
दे सकोगी वह सहारा ?
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