आज कैसे गीत गाऊँ ?/
पास थी प्रतिमा वही पर
था कहीं पर सो रहा में
अब जगा क्यों देर कर जब
हाय ! बेबस रो रहा मैं ?
ये गरम बूंदे छिपाये हैं
कथा मैं क्या सुनाऊँ ? --आज--
धुल रहे हैं आँसुओं से
भूत के वे चित्र प्यारे
छिप गये थे जो जगाकर
मौन गीतों को हमारे
देखना चाहूँ उन्हें फिर
पर कहो कैंसे सजाऊँ ? ---आज--
गीत जिस पर नाचते थे
हूँ वही वीणा अकेली
तार टूटे और उलझे
धूल खाती हूँ अकेली
शून्य वीणा , स्वर भरूँ ?
कोई नहीं , किसको रिझाऊँ ? --आज--
तुम गये सब साज लेकर
मिट चुकी संसृति हमारी
झूठ का आलम बसाकर
ढूँढता हूँ छबि तुम्हारी
ज्ञात है भ्रम में पड़ा हूँ
पर कहो कैसे भुलाऊँ ? --आ----
पास थी प्रतिमा वही पर
था कहीं पर सो रहा में
अब जगा क्यों देर कर जब
हाय ! बेबस रो रहा मैं ?
ये गरम बूंदे छिपाये हैं
कथा मैं क्या सुनाऊँ ? --आज--
धुल रहे हैं आँसुओं से
भूत के वे चित्र प्यारे
छिप गये थे जो जगाकर
मौन गीतों को हमारे
देखना चाहूँ उन्हें फिर
पर कहो कैंसे सजाऊँ ? ---आज--
गीत जिस पर नाचते थे
हूँ वही वीणा अकेली
तार टूटे और उलझे
धूल खाती हूँ अकेली
शून्य वीणा , स्वर भरूँ ?
कोई नहीं , किसको रिझाऊँ ? --आज--
तुम गये सब साज लेकर
मिट चुकी संसृति हमारी
झूठ का आलम बसाकर
ढूँढता हूँ छबि तुम्हारी
ज्ञात है भ्रम में पड़ा हूँ
पर कहो कैसे भुलाऊँ ? --आ----